सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ता शोमा सेन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत ज़मानत दे दी है। एनआईए द्वारा उनकी याचिका का विरोध न करने और उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं के आधार पर लिए गए निर्णय में अधिनियम की धारा 43(डी)(5) के तहत सामान्य शर्तों को माफ कर दिया गया। न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उसकी टिप्पणियाँ अंतरिम थीं और ट्रायल कोर्ट के निष्कर्षों के अधीन थीं। सेन को महाराष्ट्र न छोड़ने और अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का निर्देश दिया गया है।