आयकर रिफंड प्राप्त करना कई लोगों के लिए राहत की बात है, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी परेशान करने वाली हो सकती है। इन देरी के पीछे कारण और उन्हें तेज करने के कदम यहां दिए गए हैं: 1. आईटीआर का विलंबित सत्यापन: देरी का एक प्राथमिक कारण दाखिल रिटर्न को सत्यापित करने में विफलता है। सत्यापन के बाद ही कर विभाग कार्रवाई शुरू करता है। यदि सत्यापन को नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो धनवापसी प्रक्रिया निष्क्रिय रहती है। 2. बेमेल: रिटर्न और फॉर्म 26एएस में दावा की गई कर राशि के बीच विसंगतियां, जो करदाताओं की ओर से काटे गए करों का विवरण देती हैं, देरी का कारण बन सकती हैं। सहायक दस्तावेजों की सटीक और समय पर प्रस्तुति सुनिश्चित करें। 3. बड़े रिफंड: महत्वपूर्ण रिफंड के दावों पर कर विभाग द्वारा जांच शुरू हो सकती है, जिससे संभावित रूप से रिफंड में देरी हो सकती है। अधिकारियों के साथ सहयोग और त्वरित सूचना प्रस्तुत करने से समाधान में तेजी आ सकती है। 4. तकनीकी गड़बड़ियाँ या त्रुटियाँ: शायद ही कभी, कर विभाग की प्रणालियों में गड़बड़ियों के कारण देरी हो सकती है। रिफंड के लिए सटीक बैंक खाता विवरण सुनिश्चित करें। इन समस्याओं के समाधान के लिए: अपने दाखिल रिटर्न को तुरंत सत्यापित करें। विसंगतियों की पहचान करने के लिए नियमित रूप से फॉर्म 26एएस की समीक्षा करें। निवेश और कटौतियों सहित सटीक दस्तावेज़ बनाए रखें। जांच को कम करने के लिए कर नियमों का अनुपालन करें। रिफंड क्रेडिट संबंधी समस्याओं से बचने के लिए बैंक खाते की जानकारी सही करें। इन कारकों को समझने और सक्रिय उपाय करने से करदाताओं को आयकर रिफंड में तेजी लाने में मदद मिल सकती है।