कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास विभाग को एक भूतपूर्व सैनिक की 52 वर्षीय विधवा को दो सप्ताह के भीतर विधवा पहचान पत्र जारी करने का आदेश दिया है, जिससे उसे सभी संबंधित लाभ सुनिश्चित हो सकें। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने विधवा की दुर्दशा की अनदेखी करने के लिए विभाग की आलोचना की और उसकी स्थिति के प्रति सहानुभूति पर जोर दिया। उसके पति के एकतरफा तलाक के आधार पर उसके आवेदन को खारिज करना गलत माना गया, क्योंकि उसकी मृत्यु से पहले तलाक को अंतिम रूप नहीं दिया गया था। न्यायालय ने तलाक के कलंक की निंदा की और विधवा के लाभों के अधिकार की पुष्टि की। याचिकाकर्ता द्वारा तलाक की प्रक्रिया में पारिवारिक हस्तक्षेप के आरोप भी लगाए गए।