भारत सरकार ने राजस्व बढ़ाने और ईंधन की कीमतों को स्थिर करने के प्रयास में कच्चे तेल और डीजल के निर्यात पर अप्रत्याशित कर बढ़ा दिया है। वैश्विक स्तर पर तेल की बढ़ती कीमतों और मुद्रास्फीति पर उनके प्रभाव को लेकर चिंताओं के बीच यह निर्णय लिया गया है। कर वृद्धि का उद्देश्य ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण तेल कंपनियों को होने वाले लाभ का बड़ा हिस्सा हासिल करना है। इस कदम से सरकार को अतिरिक्त धन जुटाने में मदद मिलने की उम्मीद है, साथ ही अस्थिर तेल बाजारों से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने में भी मदद मिलेगी। बढ़ा हुआ कर आर्थिक दबावों को प्रबंधित करने और ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।