दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने न्यायिक हस्तक्षेप के लिए कोई आधार नहीं बताया, कार्यपालिका और संवैधानिक अधिकारियों को मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से कानून और व्यवस्था को खतरा है, लेकिन न्यायालय ने हिरासत में रहते हुए उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने से रोकने वाली किसी भी कानूनी बाधा पर सवाल उठाया। संवैधानिक प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालते हुए न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि वह राष्ट्रपति शासन नहीं लगाता है और व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया, लेकिन केजरीवाल की स्थिति में कोई कानूनी बाधा नहीं है।