जीरोधा के सह-संस्थापक नितिन कामथ ने कॉरपोरेट बॉन्ड के अंकित मूल्य को 1 लाख रुपये से घटाकर 10,000 रुपये करने के सेबी के फैसले की सराहना की। इस बदलाव से बॉन्ड निवेश को लोकतांत्रिक बनाने की उम्मीद है, जो ऐतिहासिक रूप से उच्च न्यूनतम निवेश राशि के कारण खुदरा निवेशकों के लिए दुर्गम था। कामथ ने छोटे निवेशकों के सामने आने वाली बाधाओं को उजागर किया, जिसमें छोटे अंकित मूल्य वाले बॉन्ड की सीमित उपलब्धता और जटिल निपटान प्रक्रियाएँ शामिल हैं। सेबी की पहल का उद्देश्य खुदरा निवेशकों के लिए पहुँच और विविधीकरण को बढ़ाना है, जो संभावित रूप से भारत में अधिक गतिशील बॉन्ड बाज़ार को बढ़ावा दे सकता है। यह कदम रिकॉर्ड तिथियों, उचित परिश्रम प्रमाणपत्र प्रारूपों को भी मानकीकृत करता है, और निवेश प्रक्रिया को सरल बनाते हुए वित्तीय परिणामों को प्रकाशित करने में लचीलापन देता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बॉन्ड निवेश में उतरने से पहले गहन शोध करें और अपने निवेश लक्ष्यों को संरेखित करें।
बॉन्ड बाजार में खुदरा भागीदारी बढ़ाने के लिए सेबी के कदम की सराहना
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