भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ेगी, जिसमें मजबूत घरेलू मांग प्रमुख समर्थन के रूप में काम करेगी। जहां दूसरी तिमाही में 6.5% की वृद्धि हासिल करने की उम्मीद है, वहीं तीसरी और चौथी तिमाही में क्रमशः 6.0% और 5.7% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। आरबीआई ने भूराजनीतिक तनाव, वैश्विक आर्थिक मंदी और अनियमित मानसून से संभावित प्रतिकूल परिस्थितियों की चेतावनी दी है। रिपोर्ट में वैश्विक कारकों और असमान मानसून के प्रभाव का हवाला देते हुए संतुलित जोखिमों पर जोर दिया गया है। मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण अल नीनो स्थितियों, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा की कीमतों और मांग-आपूर्ति असंतुलन जैसे कारकों से प्रभावित होता है।