सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि विदेशी चिकित्सा स्नातकों को उनके भारतीय समकक्षों के समान ही वजीफा मिलना चाहिए। यह निर्णय चिकित्सा प्रशिक्षुओं के लिए वजीफे में विभेदकारी व्यवहार पर विवाद को सुलझाता है। पहले, विदेशी स्नातकों को कम वजीफा मिलता था, जिससे असंतोष और कानूनी चुनौतियाँ पैदा होती थीं। यह फैसला वजीफे के भुगतान में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित करता है, चाहे चिकित्सा प्रशिक्षण भारत में हुआ हो या विदेश में। यह चिकित्सा पेशे में समावेशिता और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो निष्पक्षता और योग्यता को बढ़ावा देता है। इस निर्णय से विदेशी चिकित्सा स्नातकों के उपचार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने और भारत की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली की प्रतिष्ठा बढ़ने की उम्मीद है।