टाडा कोर्ट ने 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया। टुंडा पर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के मौके पर ट्रेनों में विस्फोट कराने का आरोप था। वकील शफकत सुल्तानी ने टुंडा की बेगुनाही पर जोर देते हुए कहा कि सीबीआई ठोस सबूत देने में विफल रही। दो अन्य आरोपियों इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी ठहराया गया। अदालत जल्द ही उनकी सजा की अवधि की घोषणा करेगी। यह फैसला टुंडा के लगातार बेगुनाही के दावे के बाद आया है और उसका बरी होना लंबे समय से चले आ रहे मामले में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।